काला मोतिया (ग्लूकोमा) : आंखों की एक गंभीर समस्या

काला मोतिया को ग्लुकोमा या काला मोतियाबिंद भी कहते हैं। काला मोतिया के अधिकतर मामलों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते ना ही दर्द होता है, इसलिए यह दृष्टिहीनता का एक प्रमुख कारण माना जाता है।

काला मोतिया में हमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़ता है जिससे उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है। अगर ऑप्टिक नर्व पर लगातार दबाव बढ़ता रहेगा तो वो नष्ट भी हो सकती हैं। इस दबाव को इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर कहते हैं। हमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व ही सूचनाएं और किसी चीज का चित्र मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। यदि ऑप्टिक नर्व और आंखों के अन्य भोगों पर पड़ने वाले दबाव को कम न किया जाए तो आंखों की रोशनी पूरी तरह जा सकती है।

अगर काला मोतिया की पहचान प्रारंभिक चरणों में ही हो जाए तो दृष्टि को कमजोर पड़ने से रोका जा सकता है।

काला मोतिया किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन उम्रदराज लोगों में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं।

लक्षण

  • आंखों और सिर में तेज दर्द होना।
  • नज़र कमजोर होना या धुंधला दिखाई देना।
  • आंखें लाल होना।
  • रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखाई देना।
  • जी मचलाना।
  • उल्टी होना।


कारण

  • उम्र बढ़ना (यह समस्या सामान्यता 40 साल से अधिक के लोगों को होती है, 60 के बाद इसका खतरा काफी बढ़ जाता है)।
  • काला मोतिया का पारिवारिक इतिहास।
  • कईं चिकित्सीय स्थितियां जैसे हाइपरथायरॉइडिज़्म, मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्त दाब, सिकल सेल एनीमिया, माइग्रेन आदि।
  • निकट दृष्टिदोष।
  • आंखों की सर्जरी।

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 काला मोतिया की जांच और उपचार के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कुमार आँखों के अस्पताल ,दादरी , में संपर्क करें।